ॐ जय डिग्गी वाले नाथ हरे,
देवा अंजनी के लाल हरे,
पीलीबंगा धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।
दक्षिण मूरत आपकी,
भक्तो के कष्ट हरे,
तन सिंदूरी चोला,
कुण्डल कर्ण पड़े,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।
गल मोतियन की माला,
सर पर मुकुट धरे,
पूनम ज्योत में बाबा,
भिन्न भिन्न रूप धरे,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।
कंचन थाल आरती,
कुंकुम दीप सजे,
सुर नर आरती उतारे,
जय जयकार करे,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।
झालर शंख नगाड़ा,
सिर पर चंवर ढुरे,
नर नारी दरशन को,
आकर द्वार खड़े,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।
मोदक खीर चूरमा,
नागर पान चढ़े,
सेवक भोग लगावत,
सेवा नित्य करे,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।
श्री डिग्गी वाले बाबा की आरती,
जो जन नित्य करे,
कहत भरतदास स्वामी,
रटत तुलसीदास स्वामी,
सब विधि काज सरे,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।
ॐ जय डिग्गी वाले नाथ हरे,
देवा अंजनी के लाल हरे,
पीलीबंगा धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे,
ॐ जय डिग्गी वालें नाथ हरे।।