दीखता है बड़ा बलवान सखी,
चलता है सीना तान सखी,
तुझे क्या बतलाऊँ,
है पवन पुत्र हनुमान,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ।।
तर्ज – वो है कितनी दीनदयाल सखी री।
वो राम दूत बनकर लंका में आया है,
सीता को संदेशा राम का उसने सुनाया है,
कहता आएँगे राम सखी,
लंका होगी शमशान सखी,
तुझे क्या बतलाऊँ,
है पवन पुत्र हनुमान,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ।।
लंका का शाही बाग भी जा उजाड़ दिया,
जम्बू माली को पटक पटक मार दिया,
है भूसे मारे लात सखी,
कितनो के तोड़े दांत सखी,
तुझे क्या बतलाऊँ,
है पवन पुत्र हनुमान,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ।।
है वानर जैसा रूप बांका बलकारी है,
नारी का आदर करता बाल ब्रम्हचारी है,
जब बोले जय श्री राम सखी,
कितनो के कांपे प्राण सखी,
तुझे क्या बतलाऊँ,
है पवन पुत्र हनुमान,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ।।
कहता सीता से हुकुम नहीं मुझे रघुवर का,
वर्ना मैं जबड़ा तोड़ दूँ उस लंकेश्वर का,
रावण का करे अपमान सखी,
सुनकर के हूँ हैरान सखी,
तुझे क्या बतलाऊँ,
है पवन पुत्र हनुमान,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ।।
पाप पुण्य के युद्ध में धर्म ही जीतेगा,
एक ना एक दिन पाप का हंडा फूटेगा,
‘रोमी’ के ये है बयान सखी,
तू भी राम राम जप राम सखी,
तुझे क्या बतलाऊँ,
है पवन पुत्र हनुमान,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ।।
दीखता है बड़ा बलवान सखी,
चलता है सीना तान सखी,
तुझे क्या बतलाऊँ,
है पवन पुत्र हनुमान,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ,
सखी री तुझे क्या बतलाऊँ।।
स्वर – रोमी जी।