दिल कैसे तुझको पाये,
करूँ कौन सा यतन मैं,
रग रग में तूँ समायेंं,
रग रग में तूँ समायेंं,
करूँ कौंन सा यतन मैं,
दिल कैसे तुझको पाए,
करूँ कौंन सा यतन मैं।।
मैं ना समझ हूँ मोहन,
मुझको समझ नहीं हैं,
क्या चाहता मेरा दिल,
तूँ बै खबर नहीं हैं,
मुझको समझ जो आये,
करूँ कौंन सा यतन मैं,
दिल कैसे तुझको पाए,
करूँ कौंन सा यतन मैं।।
ना ज्ञान मुझको मोहन,
ना ध्यांन जानता हूँ,
ना तेरे रिझनें का,
सामान जानता हूँ,
जिससे तूँ मान जाये,
करूँ कौंन सा यतन मैं,
दिल कैसे तुझको पाए,
करूँ कौंन सा यतन मैं।।
आँख़ों के पास है तूँ,
आँख़ों को ना ख़बर है,
पहचान नें की तुझको,
मेरे पास ना नज़र है,
मुझको नज़र तूँ आये,
करूँ कौंन सा यतन मैं,
दिल कैसे तुझको पाए,
करूँ कौंन सा यतन मैं।।
बन जाये तेरा मन्दिंर,
मेरे दिल का आश़ियांना,
नारंग की अर्ज़ तुमसे,
मेरे दिल में आ समाना,
बिनती तूँ मान जायें,
करूँ कौंन सा यतन मैं,
दिल कैसे तुझको पाए,
करूँ कौंन सा यतन मैं।।
दिल कैसे तुझको पाये,
करूँ कौन सा यतन मैं,
रग रग में तूँ समायेंं,
रग रग में तूँ समायेंं,
करूँ कौंन सा यतन मैं,
दिल कैसे तुझको पाए,
करूँ कौंन सा यतन मैं।।
लेख़क – नारंग जी।
स्वर – धसका पागल जी।
फोन – 072065 26000