दिल की हर धड़कन से,
तेरा नाम निकलता है,
तेरे दर्शन को मोहन,
तेरा दास तरसता है।।
जन्मों पे जनम लेकर,
मैं हार गया मोहन,
दर्शन बिन व्यर्थ हुआ,
हर बार मेरा जीवन,
अब धैर्य नहीं मुझमे,
इतना तु परखता है,
दिंल की हर धड़कन से,
तेरा नाम निकलता है,
तेरे दर्शन को मोहन,
तेरा दास तरसता है।।
क्या खूब सजाया है,
मोहरो की तरह हमको,
क्या खूब नचाया है,
कठपुतली सा हमको,
ये खेल तेरे न्यारे,
बस तु ही समझता है,
दिंल की हर धड़कन से,
तेरा नाम निकलता है,
तेरे दर्शन को मोहन,
तेरा दास तरसता है।।
मेरा दिल ये बुलाता है,
एक बार चले आओ,
दर्शन देकर प्यारे,
मेरी बिगड़ी बना जाओ,
प्रियतम मेरे दिल में,
अरमान मचलता है,
दिंल की हर धड़कन से,
तेरा नाम निकलता है,
तेरे दर्शन को मोहन,
तेरा दास तरसता है।।
कर भी दो दया मोहन,
हम भी तो तुम्हारे हैं,
एक बार तो अपना लो,
जन्मों से तुम्हारे हैं,
तेरे नित्य मिलन को अब,
जीवन ये तरसता है,
दिंल की हर धड़कन से,
तेरा नाम निकलता है,
तेरे दर्शन को मोहन,
तेरा दास तरसता है।।
दिल की हर धड़कन से,
तेरा नाम निकलता है,
तेरे दर्शन को मोहन,
तेरा दास तरसता है।।