दीनो का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनानाथ ऐसी बात कैसे तू सहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।
तर्ज – झिलमिल सितारों का।
जग को चलाने वाले कैसे चुप चाप हो,
हारे को सहारा देने वाला खुद आप हो,
कुछ तो विचारो क्या करना पड़ेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।
डरता हूँ दुनिया में होवे ना हसाई,
दीनो के नाथ कैसी करी निठुराई,
वाजिब है जो वो बताना पड़ेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।
समय पे किये की प्रभु बात कुछ और है,
तेरे आगे चलता ना मेरा कोई जोर है,
संकट ये मेरा तुमको हरना पड़ेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।
हसी है तुम्हारी भी ये मन में विचार लो,
सारी बाते सोच कर के पलके उघाड़ लो,
‘सांवर’ तेरा है बाबा तेरा ही रहेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।
दीनो का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनानाथ ऐसी बात कैसे तू सहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
प्रेषक – शाश्वत शर्मा।