दीनो के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।bd।
जन जन बेहाल प्रभु जी,
भीषण अकाल से,
कठिन है गुजारा अब तो,
पत्तों से छाल से,
विपत में निभावे कौन साथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी,
दीनों के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।bd।
नेत्र हिन पितृ हिन,
बालक बेचारा,
तुम बिन इस वन में,
कौन देगा सहारा,
आके पकड़ लो इसका हाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी,
दीनों के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।bd।
दूर दिन के मारे दे दे,
भए बेसहारे,
नारायण प्रभु जी पल में,
बिगड़ी सँवारे,
जिन्होंने झुकाए सन्मुख माथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी,
दीनों के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।bd।
दीनो के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।bd।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।