दो रोटी देने को जब भी,
कोई हाथ बढाता है,
ना जाने फिर साथ में क्यो वो,
सौ फोटो खिंचवाता है,
दो रोटी देनें को जब भी,
कोई हाथ बढाता है।।
तर्ज – कस्मे वादे प्यार वफ़ा।
फोटो दिखाके सबको बताया,
किसकी झोली खाली है,
पेट भरा है भूखे का या,
इज्ज़त उसकी उछाली है,
मानवता का धर्म तुम्हे क्या,
बस ये ही सिखलाता है,
दो रोटी देनें को जब भी,
कोई हाथ बढाता है।।
बेशक वो लाचार थे लेकिन,
उनका मन ना मैला था,
मदद की खातिर किसी के आगे,
हाथ ना उनका फैला था,
भीख मिली या मदद मिली ये,
निर्धन समझ ना पाता है,
दो रोटी देनें को जब भी,
कोई हाथ बढाता है।।
वाह वाही के लोभ में प्यारे,
कैसा दौर ये आया है,
थोड़ा देकर ओ इंसान तू,
क्यों इतना इतराया है,
सबको देने वाला ‘मोहन’,
नही किसी को जताता है,
दो रोटी देनें को जब भी,
कोई हाथ बढाता है।।
दो रोटी देने को जब भी,
कोई हाथ बढाता है,
ना जाने फिर साथ में क्यो वो,
सौ फोटो खिंचवाता है,
दो रोटी देनें को जब भी,
कोई हाथ बढाता है।।
Singer – Lucky Sanwariya
Writer / Upload – Parshant Soni
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