दृष्टि हम पे दया की माँ डालो,
बडी संकट की आई घड़ी है,
द्वार पर तेरे हम भी खड़े है,
आँखो में आँसुओ कि झड़ी है।।
तर्ज – वृन्दावन के ओ बांके बिहारी।
निर्बल का सहारा यही है,
रास्ता दुसरा ना कही है,
तेरा दर्श अगर तू दिखा दे,
टूट जाये गमो की लड़ी है।।
सारे भक्तो को तुमने है तारा,
वासता तुमसे भी है हमारा,
तार दे माँ तेरे बालकों को,
हम पर विपदा ही ऐसी पड़ी है।।
फरियादों की झोली अड़ी है,
फतह करने को माँ तू खड़ी है,
ये ‘शिवाजी’ को आशिष दे कर,
धन्य करदे तू सबसे बड़ी है।।
दृष्टि हम पे दया की माँ डालो,
बडी संकट की आई घड़ी है,
द्वार पर तेरे हम भी खड़े है,
आँखो में आँसुओ कि झड़ी है।।
गायक / प्रेषक – शिवाजी पाटिल।
8819041006