दुनिया में दातार बहुत हैं,
दिखलाते दातारी,
छोटा मोटा माल कमाकर,
बन बैठे व्यापारी,
सेठों का सेठ खाटू वाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला।।
खाटू में दरबार लगा,
बैठा है सरकार वहां,
श्याम धणी जैसा जग में,
और कोई दातार कहाँ,
सारी दुनिया से वो निराला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला,
सेठों का सेठ खाटू वाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला।।
जो भी दर पर जाते हैं,
सब झोली फैलाते हैं
रोते रोते जाते हैं,
हँसते हँसते आते हैं,
सबकी झोली में इसने डाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला,
सेठों का सेठ खाटू वाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला।।
जब से नाम लिया उसका,
तब से मुझको देख रहा,
बैठा बैठा मांगू मैं,
बैठा बैठा भेज रहा,
किस्मत का खोला मेरा ताला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला,
सेठों का सेठ खाटू वाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला।।
दो हाथों से मांगू मैं,
सौ हाथों से देता है,
थोड़ा थोड़ा मांगू मैं,
वो लाखों में देता है,
‘बनवारी’ सेठ है दिलवाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला,
सेठों का सेठ खाटू वाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला।।
दुनिया में दातार बहुत हैं,
दिखलाते दातारी,
छोटा मोटा माल कमाकर,
बन बैठे व्यापारी,
सेठों का सेठ खाटू वाला,
अपना तो सेठ मुरलीवाला।।
स्वर / लिरिक्स – श्री जयशंकर जी चौधरी।
Bahut hi badhiya hai
Bhaut badhai ya Bhajan