दुनिया से सहारा क्या लेना,
बस तेरा सहारा काफी है,
कुछ करने की क्या जरूरत है,
तेरा एक इशारा काफी है।।
तर्ज – दुनिया में देव हजारों है।
धन दौलत का क्या करना है,
इन महलो का क्या करना है,
जिंदगानी चार दिनों की है,
चरणों में गुजारा काफी है,
दुनियाँ से सहारा क्या लेना,
बस तेरा सहारा काफी है।।
माना दुनिया रंगीन तेरी,
हर चीज बनाई है तुमने,
देखूं तो क्या क्या देखूं माँ,
बस तेरा नजारा काफी है,
दुनियाँ से सहारा क्या लेना,
बस तेरा सहारा काफी है।।
वैकुंठ नहीं और स्वर्ग नहीं,
मुझे मुक्ति का क्या करना है,
‘बनवारी’ भजन करूँ जीवन,
मिल जाए दोबारा काफी है,
दुनियाँ से सहारा क्या लेना,
बस तेरा सहारा काफी है।।
दुनिया से सहारा क्या लेना,
बस तेरा सहारा काफी है,
कुछ करने की क्या जरूरत है,
तेरा एक इशारा काफी है।।
स्वर – सौरभ मधुकर।