द्वार दया का खोल,
जरा खाटू वाले।
तर्ज – ओ लाल मेरी पत।
दोहा – फ़ना बगैर वफ़ा का,
पता नही मिलता,
मिटा दो खुद को भी,
तो खुदा नही मिलता,
मांगने का जो तरीका है,
मांग लो इस दर से,
इस दर से बन्दों को,
क्या क्या नही मिलता।
द्वार दया का खोल,
जरा खाटू वाले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
तीन बाण तरकश में निशानी,
लखदातार शीश के दानी,
मोरछड़ी की महिमा निराली खाटूवाले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
बिना कहे तू मन की जाने,
फिर भी आए बाबा तुझको सुनाने,
जैसे भी है बाबा दास तेरे अपना ले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
नाँव भंवर में दूर किनारा,
कोई ना सुनता सबको पुकारा,
दे दो सहारा बाबा आन बनो रखवाले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
पागल मन और अँखियाँ प्यासी,
अर्जी लगाए ‘किशन ब्रजवासी’,
जैसे भी है बाबा दास तेरे अपना ले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
द्वार दया का खोल,
जरा खाटू वाले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
स्वर – सुरभि चतुर्वेदी।