एड़ा मैं काम किया,
दोहा – कबीर कलजुग आवियो,
संत ना माने कोए,
कूड़ा कपटी लालची,
इण री पूजा होए।
कबीर तेरी झूंपड़ी,
गल कटन के पास,
करंता सो भरता,
तू क्यों फिरे उदास।
कोरी कोरी मटकी में,
ठंडो जल पानी,
वोही पानी ढोल दिया,
गुरु रामानंद,
एड़ा मैं काम किया,
ओघण बोध किया,
गुरु रामानंद,
खोटा मैं काम किया।।
देखे – गुरु दाता माने अवगुण बहुत किया।
भरियो रे समदरिये में,
गैया रोकी,
बछड़ा मैं रोल दिया,
गुरु रामानंद,
एड़ा मैं काम किया।।
इतरौ रे जुग मैं तो,
निरख्यो नेवणा से,
पग पग पाप किया,
गुरु रामानंद,
एड़ा मैं काम किया।।
ब्राह्मण जी रा मैं,
खड़िया रे खोस्या,
टीपणा मैं फाड़ दिया,
गुरु रामानंद,
एड़ा मैं काम किया।।
कहत कबीरा रे,
सुण भाई साधो,
चरणा में शीश दिया,
गुरु रामानंद,
एड़ा मैं काम किया।।
कोरी कोरी मटकी में,
ठंडो जल पानी,
वोही पानी ढोल दिया,
गुरु रामानंद,
एड़ा मै काम किया,
ओघण बोध किया,
गुरु रामानंद,
खोटा मैं काम किया।।
गायक – महेश राम जी।
प्रेषक – सचिन गोयल।
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