एक बार आओ जी,
बालाजी म्हारे आंगणा,
थाने टाबरिया बुलावे घर आज,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
तर्ज – एक बार आओ जवाईं जी।
केसरिया बागो पहरावा,
चांदी को थाके छतर चढ़ावा,
थाने बनड़ो बनावा बाबा आज,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
केसर चंदन तिलक लगावा,
इतर से बाबा थाने नहलवा,
थाको खूब करा श्रृंगार,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
खीर चूरमा को भोग लगावा,
प्रेम से बाबा थाने जिमावा,
थाके खूब करा मनुहार,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
ग्यारस की म्हे रात जगावा,
भजना सु बाबा थाने रिझावा,
थाका खूब लड़ावा लाड़,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
भगता की थे विनती सुणजो,
दुखड़ा सबका आकर हर जो,
थाकि महिमा अपरम्पार,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
चौखट पे थाकि जो भी आवे,
वो तो हरपल मौज उड़ावे,
थाको नाम जपे दिन रात,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
फागुण में मेहंदीपुर आवा,
आकर के तोके ढोक लगावा,
म्हाका मन में घणो यो चाव,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
फागुण की तो महिमा भारी,
दरश करे लाखो नर नारी,
जामे ‘अमन’ भी है एक दास,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
एक बार आओ जी,
बालाजी म्हारे आंगणा,
थाने टाबरिया बुलावे घर आज,
पधारो म्हारे आँगणिये।।
बहुत सुन्दर
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Bahut hi sundar Laga he