इक बार मैया मोरे अंगना में आना,
आकर मैया मोहे दरस दिखाना,
एक बार मैया मोरे अंगना में आना,
एक बार मैया मोरे अंगना में आना।।
तर्ज – परदेसियों से ना अँखिया।
मैं निर्धन तेरी पूजा ना जानू,
जग जननी माँ तुझको कैसे रिझाऊ,
आज पड़ेगा तुमको रिश्ता निभाना,
एक बार मैया मोरे अंगना में आना,
आकर मैया मोहे दरस दिखाना,
इक बार मैया मोरे अंगना में आना।।
काहे की मैया तेरी ज्योत जलाऊ,
तेल दिया ना बाती समझ ना पाउँ,
अंतर्मन में मेरे दीप जलाना,
एक बार मैया मोरे अंगना में आना,
आकर मैया मोहे दरस दिखाना,
इक बार मैया मोरे अंगना में आना।।
कुछ भी नहीं है पास में मेरे,
चंद लकीरे है हाथो में मेरे,
इन हाथो में तेरा नाम लिख जाना,
एक बार मैया मोरे अंगना में आना,
आकर मैया मोहे दरस दिखाना,
इक बार मैया मोरे अंगना में आना।।
तू महलो में रहने वाली,
लेकिन यहाँ है माँ झोपड़ी खाली,
कबतक पड़ेगा मुझको आंसू बहाना,
इक बार मैया मोरे अंगना में आना,
आकर मैया मोहे दरस दिखाना,
इक बार मैया मोरे अंगना में आना।।
एक बार मैया मोरे अंगना में आना,
आकर मैया मोहे दरस दिखाना,
एक बार मैया मोरे अंगना में आना,
इक बार मैया मोरे अंगना में आना।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।