मेरे हृदय में बसने वाले,
भगवान के लिए,
एक बार तो हाथ उठा लो,
प्रभु श्री राम के लिए।।
तर्ज – दिल दीवाने का।
गुरुकुल से शिक्षा पाकर,
बचपन में ताड़का मारी,
ऋषि मुनि का हवन कराया,
वह बन गए थे धनुर्धारी,
दशरथ जी के उस लाला के,
अभिमान के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
प्रभु श्री राम के लिए।।
गुरु विश्वामित्र के संग में,
गए जनकपुरी रघुराई,
जहां संग सुशोभित हो गई,
जगजननी सीता माई,
शिव धनुष को पल में तोड़ा,
जनक सम्मान के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
प्रभु श्री राम के लिए।।
फिर राजतिलक को लेकर,
ऐसा तूफान है आया,
विधना ने रचकर माया,
श्री राम को वन है पठाया,
तो पिताश्री के प्रण के,
उस मान के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
प्रभु श्री राम के लिए।।
फिर कालचक्र ने प्रभु पर,
ऐसा है चक्र चलाया,
माता सीता को रावण,
लेकर है लंका सिधाया,
फिर ‘सचिन’ कहे रावण के,
मरण कल्याण के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
प्रभु श्री राम के लिए।।
मेरे हृदय में बसने वाले,
भगवान के लिए,
एक बार तो हाथ उठा लो,
प्रभु श्री राम के लिए।।
गायक – सचिन निगम।
8756825076