एक बार तुम दर्शन दे दो,
शिव शंकर भगवान,
रात दिन धरूँ तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरूँ तुम्हारो ध्यान,
ऋषि मुनि सब तुम्हें ही ध्यावे,
करो प्रभु कल्याण,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान।।
तर्ज – देख तेरे संसार की हालत।
कैलाशा में आप विराजे,
श्री चन्द्रमा सिर पर साजे,
डम डम डमरू बाजे,
सिर में गंगा का स्नान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान।।
बैलन की थाके असवारी,
सग मे सोहे गिरजा प्यारी,
गोदी मे खेले आज्ञाकारी,
श्री गजानन्द भगवान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान।।
सब देवो में देव बङा है,
तेरे दर पर दास खङा है,
दर्शन के बिन रहा अङा है,
करता है गुणगान
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान।।
महिमा अपरंपार तुम्हारी,
तेरे दर्श को तरसे भिखारी,
पुजा करू मे बनके पुजारी,
यूँ ‘रामू’ करे बखाण,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान।।
एक बार तुम दर्शन दे दो,
शिव शंकर भगवान,
रात दिन धरूँ तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरूँ तुम्हारो ध्यान,
ऋषि मुनि सब तुम्हें ही ध्यावे,
करो प्रभु कल्याण,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान,
रात दिन धरु तुम्हारो ध्यान।।
लेखक / प्रेषक – रामानन्द प्रजापत जूसरी।
9982292201