एक दीप मेरे श्याम का,
घर घर जलाइए,
दीप जला के श्याम को,
दीप जला के श्याम को,
हस कर मनाइये,
एक दिप मेरे श्याम का,
घर घर जलाइए।।
तर्ज – एक बार हमसे सांवरे नज़रे।
उनकी की कृपा से चल रही
जिंदगी की ये डोर,
बाबा करेंगे रक्षा
बच्चों की चारों ओर,
दो पुष्प भाव के,
दो पुष्प भाव के,
चरणों मे चढ़ाइए,
एक दिप मेरे श्याम का,
घर घर जलाइए।।
बाबा के नाम का लहू,
नस नस में भरके देख,
करते है रक्षा हरदम,
महसूस करके देख,
अब प्यार से शीश,
अब प्यार से शीश,
चरणों मे झुकाइये,
एक दिप मेरे श्याम का,
घर घर जलाइए।।
‘राहुल’ की एक विनती
सुन ले ओ सांवरे,
कर दो कृपा सभी पर
ओ मेरे सांवरे,
हम ने जलाया दीप,
हम ने जलाया दीप,
अब सब भी जलाइए,
एक दिप मेरे श्याम का,
घर घर जलाइए।।
एक दीप मेरे श्याम का,
घर घर जलाइए,
दीप जला के श्याम को,
दीप जला के श्याम को,
हस कर मनाइये,
एक दिप मेरे श्याम का,
घर घर जलाइए।।
लेखक / प्रेषक – राहुल अग्रवाल (एडवोकेट)
कासगंज, मोबाइल नo 9927057481
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