एक दीन गंगा रे तीरे,
मिलग्या दो बिछड्या प्राणी।
दोहा – सूरज टले चंदो टले,
और टले जगत व्यवहार,
पण व्रत हरिशचंद्र रो ना टले,
ना टले रे सत्य विचार।
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा,
अमर रवैगो थारो नाम रे,
हरिशचंद्र राजा,
अमर रवैगो थारो नाम रे,
उगते प्रभाते ढळती शाम रे,
उगते प्रभाते ढळती शाम रे,
सतवादी राजा,
घर घर पुजीजे थारो नाम रे,
सतवादी राजा,
घर घर पुजीजे थारो नाम रे।।
तरवर दे ठंडी छैया,
सरवर दे मीठो पाणी,
परहीत परमारथ पंथी,
जीवण ने है जिंदगाणी,
जुनी रो मरम पिछाण्यो,
बणगो गुण सागर ज्ञानी,
दुर्बल दुखिया रो दाता,
मानी जो बनकर दानी,
मनड़े पर कसदी नी लगाम रे,
मनड़े पर कसदी नी लगाम रे,
जय जय जुग बाला,
अमर रवैगो थारो नाम रे,
जय जय जुग बाला,
अमर रवैगो थारो नाम रे।।
दोहा – सत री सोरम छाएगी,
तीन लोक के माय,
पारख हरिशचंद री करी,
सपने में मुनी आय।
दे दीनो सब दान में,
सुर्यवंश सिरमौर,
जावे है सब त्याग के,
राज वस्त्र तक छोड़।
कुपल सी कवली काया,
सुंदर तारामती राणी,
फुला पर चालण वाली,
काटा में बहे गुलबाणी,
झुलसे रोहीतास जो बालो,
तपते तावड़ीए माई,
भुखा तीरसा या भटके,
सत रे मारगीये माई,
सत पर जीवतडा बाले चाम रे,
सत पर जीवतडा बाले चाम रे,
हरीशचन्द्र राजा,
छाला पड गया रे थारे पाव रे,
हरीशचन्द्र राजा,
छाला पड गया रे थारे पाव रे।।
सत रे पथ बीक ग्यो सीमरत,
सत पर बीक गी महाराणी,
अवधपुरी रो राजा,
भरसी शुदर घर पाणी,
मंगसो चांदडलों पडगो,
धरती माँ भी लचकाणी,
बहतो वायरियो रुकगो,
गंगा को थमगो पाणी,
कर दीनो भुपत सब लीलाम रे,
कर दीनो भुपत सब लीलाम रे,
वचना रा बारु,
अमर रहेगो थारा नाम रे,
वचना रा बारु,
अमर रहेगो थारा नाम रे।।
एक दीन गंगा रे तीरे,
मिलग्या दो बिछड्या प्राणी,
घड़ीयो ऊंचादे म्हाने,
बोली तारामती राणी,
सैंधी सी बोली सुणके,
संभळयो सतवादी दानी,
पण अपनो धर्म निभावण,
करगो वो आनाकानी,
झुकगा वे नैना कर सीलाम रे,
झुकगा वे नैना कर सीलाम रे,
जन्मा रा भिडू,
रैगा हिवडे ने दोनो थाम रे,
जन्मा रा भिडू,
रैगा हिवडे ने दोनो थाम रे।।
दोहा – सोनो तप कंचन बणे,
अरे मत वे जिव हतास,
साँच रे मारगिये सदा,
त्याग तपस्या त्रास।
सोभे हो राज सिंहासन,
झिलमिलता हिरा मोती,
नगरी में प्राण सु प्यारो,
सबरे नैणा री ज्योती,
झुला रे समरा झुलतो,
धूलता हा चवर पछाड़ी,
मरघट पर लकड़ा फाडे,
हरिशचंद रे हाथ कुल्हाड़ी,
तड़पे दिन रात न ले विसराम रे,
तड़पे दिन रात न ले विसराम रे,
मेहनतीया मारू,
अमर रवैगो थारो नाम रे,
मेहनतीया मारू,
अमर रवैगो थारो नाम रे।।
मिनखा पण दो दिन मेलो,
दो दिन है अंजळ दाणो,
कुण जाणे कितरी सांसा,
कद जाणे किण ने जाणो,
बीते है वगत सुहाणी,
छोड़ो की याद निशाणी,
जय जय सतवादी राजा,
जय जय हरिशचंद्र दानी,
जुग जुग झुकेला कर प्रणाम रे,
जुग जुग झुकेला कर प्रणाम रे,
जियो जुग बाला,
अमर रवेगो थारो नाम रे,
जियो जुग बाला,
अमर रवेगो थारो नाम रे।।
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा,
अमर रवैगो थारो नाम रे,
हरिशचंद्र राजा,
अमर रवैगो थारो नाम रे,
उगते प्रभाते ढळती शाम रे,
उगते प्रभाते ढळती शाम रे,
सतवादी राजा,
घर घर पुजीजे थारो नाम रे,
सतवादी राजा,
घर घर पुजीजे थारो नाम रे।।
देखे – धारा नगर वाले चोवटे।
गायक – सुरेश वाडकर जी।
प्रेषक – रोशन कुमावत (भेरुखेड़ा)
8770943301