एक दिन सबको जाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा,
जिसे समझता है अपना,
बैगाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा।।
तर्ज – झिलमिल सितारों का।
कोठी बंगला कार देख तु,
क्यु इतना ईतराता है,
सुन्दर काया देख लुभाया,
मल मल के तु नहाता है,
छोड सभी को जाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा,
इक दिन सबको जाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा।।
क्या करता तु मेरा मेरा,
तेरा ये परिवार नही,
नाते दार हितेशी तेरे,
कोई रिश्तेदार नही,
तेरा मरघट मे ठिकाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा,
इक दिन सबको जाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा।।
झुठ कपट और चोरी से,
क्यु पाप तिजोरी भरता है,
करले धर्म कमाई रे क्यु,
बैमानी मै मरता है,
धर्म की सभा मै ना ठिकाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा,
इक दिन सबको जाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा।।
आया था तु राम भजन,
क्यु जग से नाता जोड लिया,
भूल कै साँचे नाम न बन्दे,
कर्म तनै क्यु फोड लिया,
राम नाम ‘मोहित’ तुझको गाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा,
इक दिन सबको जाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा।।
एक दिन सबको जाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा,
जिसे समझता है अपना,
बैगाना होगा,
लौट कभी ना आना होगा।।
– लेखक एवं प्रेषक –
कुमार मोहित शास्त्री
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