इक लहरी दार घूंघट,
माथे पे डाल के,
भोले बन गये जनाना,
घुंघटा निकाल के,
भोले बन गये जनाना,
घुंघटा निकाल के।।
तर्ज – ये गोटेदार।
बिच्छू बाला कान में डाला,
गले मुंड की माला,
गले मुंड की माला,
कमर करधनां कसके बांधा,
नाग वो काला काला,
नाग वो काला काला,
सर्पों को रखेंगे प्यारी,
कौंछे में सम्भाल के,
भोले बन गये जनाना,
घुंघटा निकाल के।।
सब कुछ तुमने छुपा लिया,
कहाँ छुपे गंग का पानी,
कहाँ छुपे गंग का पानी,
छुपा सकोगे तुम प्रियतम ना,
ये मरदानी वानी,
ये मरदानी वानी,
पकड़े ना जाओ स्वामी,
मरदानी चाल से,
भोले बन गये जनाना,
घुंघटा निकाल के।।
नटवर पलट दिया घूंघट तो,
तब भोले मुस्काये,
तब भोले मुस्काये,
यहीं से शिवशंकर भोले हैं,
गोपेश्वर कहलाये,
गोपेश्वर कहलाये,
मथुरा में पुजते भोले,
गोपेश्वर नाम से,
भोले बन गये जनाना,
घुंघटा निकाल के।।
इक लहरी दार घूंघट,
माथे पे डाल के,
भोले बन गये जनाना,
घुंघटा निकाल के,
भोले बन गये जनाना,
घुंघटा निकाल के।।
– गायक / प्रेषक –
भगवत् रसिक धीरज कुमार गोस्वामी।
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