इक नज़र हमको देखो बिहारी,
आस तुमसे लगाए हुए है,
अपने बेटो को दे दो सहारा,
आस तुमसे लगाए हुए है।।
क्यूँ ना देखो हमे तुम बिहारी,
ये बता दो क्या गलती हमारी,
भूल को भूल जाओ ना बाबा,
हम क्या माफी के काबिल नही है,
एक नज़र हमको देखो बिहारी,
आस तुमसे लगाए हुए है।।
बैठू चौखट पे बन के भिखारी,
ताकू निशदिन मैं सूरत बिहारी,
हाँ कभी ना कभी तो पड़ेगी,
हम गरीबों पे नज़रे तुम्हारी,
एक नज़र हमको देखो बिहारी,
आस तुमसे लगाए हुए है।।
मान भी जाओ ना श्याम बाबा,
हमने दामन तुम्हारा है थामा,
अब जो जायेगे हम दर से खाली,
होगी दर दर हँसी फिर तुम्हारी,
एक नज़र हमको देखो बिहारी,
आस तुमसे लगाए हुए है।।
तू पिता तेरी संतान है हम,
मूढ़ बालक है नादान हैं हम,
आँखों मे आँसू ओर झोली खाली,
अब ‘हरि’ को सम्भालो बिहारी,
एक नज़र हमको देखो बिहारी,
आस तुमसे लगाए हुए है।।
इक नज़र हमको देखो बिहारी,
आस तुमसे लगाए हुए है,
अपने बेटो को दे दो सहारा,
आस तुमसे लगाए हुए है।।
गायक – महंत हरि भैया एवं माधवी सांवरिया।
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