एक तमन्ना श्याम है मेरी,
दिल में बसा लूँ सूरत तेरी,
हर पल उसी को निहारा करूँ,
श्याम श्याम मुख से उचारा करूँ।।
रोज सवेरे उठ कर बाबा,
तुझको शीश नवाउँ मैं,
प्रेम भाव से भांति भांति का,
नित श्रृंगार सजाउँ मैं,
हाथो से आरती उतारा करूँ,
श्याम श्याम मुख से उचारा करूँ।।
इस तन से जो काम करूँ मैं,
सब कुछ तुझको अर्पित हो,
खाऊं जो प्रशाद हो तेरा,
पीऊं वो चरणामृत हो,
हर पल ही दर्शन तुम्हारा करूँ,
श्याम श्याम मुख से उचारा करूँ।।
कण कण में है वास तुम्हारा,
ये संसार तुम्हारा है,
खाटू वाले ये जग सारा,
ही दरबार तुम्हारा है,
चरणों में तेरे गुजारा करूँ,
श्याम श्याम मुख से उचारा करूँ।।
‘बिन्नू’ की प्रभु विनती तुमसे,
इतनी किरपा कर देना,
चरणों की सेवा मिल जाए,
इससे बढ़कर क्या लेना,
असुवन से इनको पखारा करूँ,
श्याम श्याम मुख से उचारा करूँ।।
एक तमन्ना श्याम है मेरी,
दिल में बसा लूँ सूरत तेरी,
हर पल उसी को निहारा करूँ,
श्याम श्याम मुख से उचारा करूँ।।
स्वर – सौरभ मधुकर।
प्रेषक – अमित सोनी
9413153008