एक तू जो मिला सारी दुनिया मिली,
खिला जो मेरा दिल,
सारी बगिया खिली।।
तू सूरज मैं सूरजमुखी हूँ पिया,
ना देखूँ तुझे तो खिले ना लागे जिया,
तू सूरज मैं सूरजमुखी हूँ पिया,
ना देखूँ तुझे तो ना लागे जिया,
तेरे रंग मैं रंगी मेरे दिल की कली,
तेरे रंग मैं रंगी मेरे दिल की कली,
खिला जो मेरा दिल,
सारी बगिया खिली।।
ये कैसा अनोखा हैं बंधन सजन,
बिना डोर के बंध गया मेरा मन,
ये कैसा अनोखा हैं बंधन सजन,
बिना डोर के बंध गया मेरा मन,
तू जिधर ले चला मैं उधर ही चली,
तू जिधर ले चला मैं उधर ही चली,
खिला जो मेरा दिल,
सारी बगिया खिली।।
कभी जो ना बिछड़े वो साथी हूँ मैं,
तू मेरा दीया तेरी बाती हूँ मैं,
कभी जो ना बिछड़े वो साथी हूँ मैं,
तू मेरा दीया तेरी बाती हूँ मैं,
जो जलाया जली बुझाया बुझी,
जो जलाया जली बुझाया बुझी,
खिला जो मेरा दिल,
सारी बगिया खिली।।
एक तू जो मिला सारी दुनिया मिली,
खिला जो मेरा दिल,
सारी बगिया खिली।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।