एक योगी अलख जगावे री माई,
भिक्षा दे घाल।।
दुधा नहाइयो पुत्रा फलियों,
राम करें थारे घी के बलियो,
थारा खेड़ा जुग जुग बसियो री माई,
भिक्षा दे घाल।।
दान करें त धन ना घटता,
लिख्या कर्म का कोन्या टलता,
थारा पितृ सुख त बसियो री माई,
भिक्षा दे घाल।।
दिया होया तेरा दान फलेगा,
भला तेरा भगवान करेगा,
अन धन त बर्तन भरियो री माई,
भिक्षा दे घाल।।
एक योगी अलख जगावे री माई,
भिक्षा दे घाल।।
गायक / प्रेषक – पवन धर्मखेड़ी।
8814810192