ऐवा धूपा री वेला वेगा आवजो,
श्लोक:- नागाणा रे मायने,
मंदिर बनियो जोर,
कोयलिया टूका करे,
हे माडि मीठा बोले मोर।।
ऐवा धूपा री वेला वेगा आवजो,
ऐवा ज्योता री वेला वेगा आवजो,
आवो आवो, आवो आवो,
नागणेशी मात रे माड़िये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा नागाणा धरती में थारो बेसणो,
थारो मंदिर, थारो मंदिर,
बनियो बड़ो जोर रे माड़ीये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा नव रे रात्री में वेगा आवजो,
गरबे खेलो, गरबे खेलो,
सब बैनो साथ रे माड़ीये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा ढोलरे नगाड़ा रूडा बाजिया,
प्यारो लागे, प्यारो लागे,
झालर रो झनकार रे माड़ीये मारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
माड़ी सुवटी देवी री अर्जी सांभलो,
सुनीता ने,सुनीता ने,
शरणा माय राखोये माड़ीये मारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा धुपा री वेला वेगा आवजो,
ऐवा ज्योता री वेला वेगा आवजो,
आवो आवो, आवो आवो,
नागणेशी मात रे माड़िये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
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