फागुण का महीना,
मेरे रुकते नहीं है पांव,
चला रे चला रे मैं चला रे,
अपने सांवरिया के गांव।।
श्रद्धा से जाऊंगा मैं,
करूँ ना दिखावा,
आया देखो आया मेरे,
बाबा का बुलावा,
खाटू की वो गलियां,
पीपल की ठंडी छांव,
चला रे चला रे मैं चला रे,
अपने सांवरिया के गांव।।
रह रह के दिल मेरा,
श्याम श्याम बोले,
नैया भी खाने लगी,
अब हिचकोले,
आन संभालो बाबा,
हेै टूटी फूटी नांव,
चला रे चला रे मैं चला रे,
अपने सांवरिया के गांव।।
आंखों के आंसुओं से,
चरण धुलाऊंगा,
दिल की ये बातें अपने,
श्याम को सुनाऊंगा,
‘सागर’ कहे तेरी महिमा,
फैली है चारों दिशाओ,
चला रे चला रे मैं चला रे,
अपने सांवरिया के गांव।।
फागुण का महीना,
मेरे रुकते नहीं है पांव,
चला रे चला रे मैं चला रे,
अपने सांवरिया के गांव।।
गायक / प्रेषक – सागर प्रिंस पानीपत।
8950936006