फागुन में खाटू के दर का,
गजब नजारा लागे से,
चल के देख फागुन का मेला,
स्वर्ग भी फिक्का लागे से।।
रिंगस से खाटू तक या,
भगतां की लंबी कतार लगे,
चारों तरफ ही गूंजे,
श्याम धणी की जयकार लगे,
सांवरिया की मस्ती बरसे,
चिंता सारी भागे से,
चल के देख फागुन का मेला,
स्वर्ग भी फिक्का लागे से।।
तोरण द्वार है प्यारा,
करता सबका अभिनंदन है,
श्याम के दर जो आता,
सब करते इसको वंदन है,
मेले में खाटू की मिट्टी,
उड़ती चोखी लागे से,
चल के देख फागुन का मेला,
स्वर्ग भी फिक्का लागे से।।
या खाटू नगरी सजी से,
सोना दरबार सज्जा से,
रविन्द्र फौजी आ के तू देख ले,
कितना मज़ा से,
राकेश खाटू स्वर्ग से बढ़कर,
आनन्द होवे सागे से,
चल के देख फागुन का मेला,
स्वर्ग भी फिक्का लागे से।।
फागुन में खाटू के दर का,
गजब नजारा लागे से,
चल के देख फागुन का मेला,
स्वर्ग भी फिक्का लागे से।।
गायक / प्रेषक – रविन्द्र फौजी।
7006681165