फागण का नज़ारा है,
दोहा – हवाओं में अजब सा,
रंग छा गया है,
लगता है यारों,
फागण का मेला आ गया है।
फागण का नज़ारा है,
आयी है खाटु से चिट्ठियाँ,
श्याम बाबा ने पुकारा है।।
ये भी देखे – तेरे बगैर फागण मजा न देगा।
हमने सुना है फागण में,
मेला लगता है भारी,
दूर दूर तक है चर्चा,
मेले की महिमा न्यारी,
जो एक बर जाता है,
आता तो है लेकिन,
दिल हार के आता है।।
लाखों लाखों निशान लिए,
चलते है सब मतवारे,
सारे रस्ते गूँजते है,
श्याम नाम के जयकारे,
सुन सुन के उछलता है,
प्रेमी से मिलने को,
ये खुद भी मचलता है।।
‘राज’ उसे जब प्रेमी की,
यादें बहुत सताती है,
मोड़ता है रुख़ बादल का,
और फागण रुत आती है,
फागण के बहाने से,
मन को सुकून मिले,
खाटु में जाने से।।
फागण का नज़ारा हैं,
आयी है खाटु से चिट्ठियाँ,
श्याम बाबा ने पुकारा है।।
Singer – Raj Pareek