फाल्गुन की ग्यारस पे,
रंग गुलाल उडावे सावरियो,
फाल्गुन कि ग्यारस पे,
चंग धमाल बजावे सावरियों,
रंग खेल रहयो खाटू में जी सावरियों।।
माटी खाटू धाम की,
लागे है सुहावनी,
खाटू वाला श्याम धनी कि,
मूरत निराली,
सेठा मे सेठ कहावे जी सावरियों।।
सेठ सावरिया को,
दरबार प्यारो लागे ओ,
मुछया कि मरोड़ पे,
जाऊ बलिहारी ओ,
अन धन अपार लुटावे जी खाटू में।।
केसरिया है बागे जा पे,
फेटो पचरंगी,
श्याम धनी के लीले,
घोड़े कि सवारी,
फाग खेल रहयो खाटू में जी सावरियों।।
सेठ भी आवे बाबा,
निर्धनिया भी आवे,
द्वारका हरीश बाबा,
महिमा गावे,
भगता का बिडद संभाले जी खाटू में।।
फाल्गुन की ग्यारस पे,
रंग गुलाल उडावे सावरियो,
फाल्गुन कि ग्यारस पे,
चंग धमाल बजावे सावरियों,
रंग खेल रहयो खाटू में जी सावरियों।।
गायक – हरीश द्वारका।
कुचामन सिटी। 8003060117