फागुन की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
फागुण की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे।।
हम खाटू धाम को जाएंगे,
रंग केसरिया घुलवाएंगे,
लगा श्याम के दर पर मेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
फागुण की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे।।
सांवरिया श्याम बुलाता है,
सब को ही गले लगाता है,
मेरा श्याम बड़ा अलबेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
फागुण की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे।।
होली में सबके ही संग में,
रंग जाता भक्तों के रंग में,
यह खेल अनोखा खेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
फागुण की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे।।
‘शोभा’ के हाथ पिचकारी है,
बाबा श्याम की प्रेम पुजारी है,
‘रज्जो’ मिश्री का ढेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
फागुण की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे।।
फागुन की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
चलो श्याम से होली खेलेंगे,
फागुण की प्यारी बेला है,
चलो श्याम से होली खेलेंगे।।
स्वर – शोभा गुप्ता।