फूलों में सज रही है,
मेरी मैया शेरो वाली,
कटरा में रह रही जो,
मेरी मैया वैष्णो रानी,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
कटरा की वादियों में,
दरबार है सजाया,
त्रिकुट पर्वत पे माँ,
अपना भवन बनाया,
इन वादियों के सदके,
इन वादियों पे वारी,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
चुन चुन के कलियाँ सबने,
बंगला तेरा बनाया,
जूही गुलाब गेंदे की,
खुशबू से महकाया,
इन खुशबुओं पे सदके,
हर फूल पे मैं वारी,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
पिंडी रूप बना के,
अद्भुत रूप बनाया,
माँ लक्ष्मी काली सरस्वती को,
अपने संग बुलाया,
सुध बुध ही खो गई है,
जब से छवि निहारी,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
सोने का मुकट सिर पर,
रखा है इस अदा से,
ममता बरस रही है,
ममता भरी निगाह से,
बिन मोल बिक रही हूँ,
जब से छवि निहारी,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
श्रृंगार तेरा मैया,
शोभा कहूं क्या उसकी,
है लाल लाल चोला,
और प्यारी सी चुनरी,
वर्णन करूँ क्या उसका,
निशब्द में समाई,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
‘विशाल’ तेरी मैया,
अनुपम छवि निहारे,
नैनो में बस गई,
मेरे दर्शन की ये बाते,
दिल में रहो सदा मेरे,
तेरे चरणों पे मैं वारी,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
फूलों में सज रही है,
मेरी मैया शेरो वाली,
कटरा में रह रही जो,
मेरी मैया वैष्णो रानी,
फूलो में सज रहीं है,
मेरी मैया शेरो वाली।।
– गायक एवं प्रेषक –
विशाल जोशी देवास मप्र।
फोन – 7000839796