गाड़ी जावे गुरु जी रे देश,
कोई नर चालो रे।।
सत्संग गाड़ी बड़ी जबर है,
रिसि मुनियो को नही खबर है,
मिलती सबको हमेश,
कोई नर चालो रे।
गाड़ी जावे गुरा जी रे देश,
कोई नर चालो रे।।
लोक लोकांतर पर जावे,
नाम रूप का पता न पावे,
दुख का नही है लेश,
कोई नर चालो रे।
गाड़ी जावे गुरा जी रे देश,
कोई नर चालो रे।।
मजदूर हो या नाभि सेठ,
ब्रह्मदेश में पहुचे ठेठ,
कर दो श्री गणेश,
कोई नर चालो रे।
गाड़ी जावे गुरा जी रे देश,
कोई नर चालो रे।।
सतगुरु दाता समर्थ कहिये,
चन्दर शरणागत हो रहिये,
यह रेशो की रेष,
कोई नर चालो रे।
गाड़ी जावे गुरा जी रे देश,
कोई नर चालो रे।।
गाड़ी जावे गुरु जी रे देश,
कोई नर चालो रे।।
गायक / प्रेषक – श्यामनिवास जी।
919024989481