गढ़ दिल्ली थे चढ़े बादशाह,
गांव रणुजो घेर लियो ओ जे।।
किया धनी रो गांव रणुजा,
किया धनी माय राज करें ओ जे।।
अजमल धनी रो गांव रणुजो,
रामा कवर माय राज करें ओ जे।।
धोली धजा धनी हेटे पाड़ी ओ,
लीला तंबू खड़ा किया ओ जे।।
गांव रणुजा गाया कटीजे,
मधुरा प्याला फरेरिया हो जे।।
गाया कट्टीजे बाइयो परणीजे,
माय मिया रो राज वुओ हो जे।।
हरजी भाटी तो लिखे कागदीयो,
पवना साथे में हो जे।।
अर्ज सुणेने धनी वेगा पधारो,
गांव रणुजो घेर लियो ओ जे।।
द्वारकापुरी ती चढे रामदेव,
बावन भेरू लारे सढे हो जे।।
आवे रणुजे गोटो जेलियो ओ,
बादशाह रा तंबू तोड़ दिया ओ जे।।
नीचे बादशाह ऊपर ढोलियो,
माथे लीलो हिस करें ओ जे।।
हमके धनी मारा छोड़ जीव तो,
कदे नी आवु थोरा देश मैं ओ जे।।
गढ़ दिल्ली में मंदिर बनाऊं,
माय पीरा जाप जो जे।।
मस्जिद पड़ाऊ मन्दिर बनाऊं,
माय पीरा रा जाप जपु जो जे।।
चार नबी थोरे समर ढोले ला,
पाचो पीर नमन करे ओ जे।।
हरी चरणे भाटी हरजी बोलिया,
एडी एडी रोमत रामो रमे ओ जे।।
गढ़ दिल्ली थे चढ़े बादशाह,
गांव रणुजो घेर लियो ओ जे।।
लेखक – रमेश सांखला।
9106361457