गजब रीत चली कलयुग में,
राम राम राम,
गजब रीत चली।।
जन्मदिन पर पूजा पाठ ना किया,
कटबा दयै केक और बुजवा दये दिया,
गजब रीत चली,
अजब रीत चली कलयुग में,
राम राम राम,
गजब रीत चली।।
मम्मी से मोम कहै पिताजी से डेड,
मैया को चटाई बीवी को डबल बेड,
गजब रीत चली,
अजब रीत चली कलयुग में,
राम राम राम,
गजब रीत चली।।
लड़कन ने कटवा कन कन के बाल,
लड़का और लड़की में रही पहचान,
गजब रीत चली,
अजब रीत चली कलयुग में,
राम राम राम,
गजब रीत चली।।
गजब रीत चली कलयुग में,
राम राम राम,
गजब रीत चली।।
गायक – गोलू ओझा।
प्रेषक – सुरेश धाकड़ बाला खेड़ा।
9753145644