गजानन प्रभु तुझको आना पड़ेगा,
श्लोक – या देवी सर्वभूतेषु,
विद्या रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै,
नमस्तस्यै नमो नमः।
ॐ अखण्डमण्डलाकारं,
व्याप्तं येन चराचरम्,
तत्पदं दर्शितं येन,
तस्मै श्रीगुरवे नमः।
विघ्न हरण गौरी के नंदन,
सुमिर सदा सुखदायी रे,
तुलसीदास जो गणपती सुमिरै,
कोटि विघ्न टल जाई रे,
वेद पुरान कथा से पहले,
जो सुमिरै सुखदायी रे,
अष्ट सिद्धि नवनिधि लक्ष्मी,
मन इच्छा फल पायी रे।
गजानन प्रभु तुझको आना पड़ेगा,
रिद्धि सिद्धि को साथ लाना पड़ेगा,
गजानंद प्रभु तुझको आना पड़ेगा।।
तर्ज – मेरे प्यार को तुम भुला।
तेरे वास्ते ला के प्रसाद रखा,
तेरे वास्ते ला के प्रसाद रखा,
तेरे वास्ते ला के प्रसाद रखा,
तुझे आके भोग लगाना पड़ेगा,
रिद्धि सिद्धि को साथ लाना पड़ेगा,
गजानंद प्रभु तुझको आना पड़ेगा।।
तेरा नाम शुभ लाभ है देने वाला,
तेरा नाम शुभ लाभ है देने वाला,
तेरा नाम शुभ लाभ है देने वाला,
दर्शन तुम्हे अब दिखाना पड़ेगा,
रिद्धि सिद्धि को साथ लाना पड़ेगा,
गजानंद प्रभु तुझको आना पड़ेगा।।
प्रथम धरे जो ध्यान तुम्हारो,
प्रथम धरे जो ध्यान तुम्हारो,
प्रथम धरे जो ध्यान तुम्हारो,
करम उसपे तुझको दिखाना पड़ेगा,
रिद्धि सिद्धि को साथ लाना पड़ेगा,
गजानंद प्रभु तुझको आना पड़ेगा।।
गजानंद प्रभु तुझको आना पड़ेगा,
रिद्धि सिद्धि को साथ लाना पड़ेगा,
गजानंद प्रभु तुझको आना पड़ेगा।।
स्वर – धीरज कान्त जी।