गणेश आया रिद्धि सिद्धि लाया,
भरया भण्डारा रहसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
हल्दी का रंग पीला होसी,
केशर कद बण जासी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
कोई खरीदे काँसी पीतल,
सन्त शब्द लिख लेसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
खार समद बीच अमृत भेरी,
सन्त घड़ो भर लेसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
खीर खाण्ड का अमृत भोजन,
सन्त निवाला लेसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
कागा के गले पैप माला,
हँसलो कद बण ज्यासी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
ऊँचे टीले धजा फरुके,
चौड़े तकिया रहसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
साध सन्त रल भेला बैठ,
नुगरा न्यारा रहसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
शरण मछन्दरजती गोरख बोल्या,
टेक भेष की रहसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
गणेश आया रिद्धि सिद्धि लाया,
भरया भण्डारा रहसी ओ राम,
मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मायले री बाता कहसी ओ राम,
म्हाने झीणी झीणी बाता कहसी।।
स्वर – विकासनाथ जी महाराज।
प्रेषक – सुभाष साररस्वा।
9024909170