गंगा जमुना और सरस्वती,
दोहा – सतगुरु की संगत करो,
धरो हरि को ध्यान,
अंतकरण शुद्ध होवसी,
महाकुम्भ करो स्नान।
गंगा जमुना और सरस्वती,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
करोड़ पाप काया रा धोवे,
महाकुम्भ रे माई ओ राम,
हर हर गंगा शीतल अंगा,
हर हर गंगा शीतल अंगा,
हर की पोढी माई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
मानव जनम दुर्लभ है हमारा,
सतगुरु सेन बताई ओ राम,
मानव जनम दुर्लभ है हमारा,
सतगुरु सेन बताई ओ राम,
गंगा हमारी जीवन धारा,
नावो त्रिवेणी माई ओ राम,
जनम मरण रा पाप धोयने,
जनम मरण रा पाप धोयने,
भवसागर से तिराई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
विष्णु चरण से निकली गंगा,
शिव री जटा मे आयी ओ राम,
विष्णु चरण से निकली गंगा,
शिव री जटा मे आयी ओ राम,
हर की पोढी हरिद्वार में,
भागीरथ दरसाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
देव दानव से हार गए जद,
विष्णु शरण में जाई ओ राम,
देव दानव से हार गए जद,
विष्णु चरण में जाई ओ राम,
कुम्भ नाम री काची काया,
असुर देवेला मिटाई ओ राम,
मंथन कर जद अमृत निकाल्यो,
मंथन कर जद अमृत काड्यो,
कुम्भ कलश रे माई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
दशो दिशा मे कलश गुमायो,
चार बूंद गिर जाई ओ राम,
दशो दिशा में कलश गुमायो,
चार बूंद गिर जाई ओ राम,
नासीक उज्जैन ने इलाहाबाद,
ओर हरिद्वार रे माई ओ राम,
बारह वर्षा सु मेला भरीजे,
बारह वर्षा सु मेला भरीजे,
महाकुम्भ कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
ज्ञानी ध्यानी और ऋषि मुनी,
संत अखाडा आयी ओ राम,
ज्ञानी ध्यानी और ऋषि मुनी,
संत अखाडा आयी ओ राम,
पूजा अर्चना ओर स्नान कर,
शब्द देवे सुनाई ओ राम,
गंगा नहायने सुने कोई विरला,
गंगा नहायने सुने कोई विरला,
संत रज तिर जाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
कुम्भ कलश री देह हमारी,
आत्मा डांगडी माई ओ राम,
कुम्भ कलश री देह हमारी,
आत्मा डांगडी माई ओ राम,
पाँच तत्व रो बनीयो रे पिंजरीयो,
माटी में मिल जाई ओ राम,
माली छवर कहे गंगा ने गुरू,
माली छवर कहे गंगा ने गुरू ,
अमरलोक ले जाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
गंगा जमुना और सरस्वती,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
करोड़ पाप काया रा धोवे,
महाकुम्भ रे माई ओ राम,
हर हर गंगा शीतल अंगा,
हर हर गंगा शीतल अंगा,
हर की पोढी माई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती,
त्रिवेणी कहलाई ओ राम,
गंगा जमुना ओर सरस्वती।।
गायक – प्रकाश माली जी & कुशल जी बारठ।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818