गंगा थारी लहर,
हमारे मन भाई जी,
संतों रे मन भाई,
गंगा थारीं लहर।।
पांच बरस रो भयो भागीरथ,
वन में सुरत लगाई,
सारो शहर तो बरजण लागो,
बरजण लागी थारी बुढीया मांई,
गंगा थारीं लहर,
हमारे मन भाई जी।।
स्वर्ग लोक से उतरी गंगा,
शंकर जटा समाई,
हट कर ने भागीरथ लायो,
सोरम घाट गंगा बैहवे सवाई,
गंगा थारीं लहर,
हमारे मन भाई जी।।
जो गंगा का ध्यान धरत है,
गोता कबहू न खाई,
अपने कुल को ऐसे तारे,
जैसे जल बिच कमल तिरासी,
गंगा थारीं लहर,
हमारे मन भाई जी।।
सतयुग तार त्रैतायुग तारे,
द्वापर तारण आई,
तुलसीदास भजो भगवाना,
कलयुग आतों गंगा लुप्त हो जाई,
गंगा थारीं लहर,
हमारे मन भाई जी।।
गंगा थारी लहर,
हमारे मन भाई जी,
संतों रे मन भाई,
गंगा थारीं लहर।।
गायक – श्यामलाल जी सुथार।
9730648758