गणपति तेरे चरणों की,
बप्पा तेरे चरणों की,
पग धूल जो मिल जाए,
सच कहता हूँ गणपति,
तकदीर सम्भल जाए,
गणपति तेरें चरणों की।।
सुनते है तेरी रेहमत,
दिन रात बरसती है,
इक बूँद जो मिल जाए,
मन की कली खिल जाए,
गणपति तेरें चरणों की।।
ये मन बड़ा चंचल है,
कैसे तेरा भजन करूँ,
जितना इसे समझाऊं,
उतना ही मचल जाए,
गणपति तेरें चरणों की।।
नजरो से गिराना ना,
चाहे जो भी सजा देना,
नजरो से जो गिर जाए,
मुश्किल ही संभल पाए,
गणपति तेरें चरणों की।।
बप्पा इस जीवन की,
बस एक तम्मना है,
तुम सामने हो मेरे,
मेरा दम ही निकल जाए,
गणपति तेरें चरणों की।।
गणपति तेरे चरणों की,
बप्पा तेरे चरणों की,
पग धूल जो मिल जाए,
सच कहता हूँ गणपति,
तकदीर सम्भल जाए,
गणपति तेरें चरणों की।।
स्वर – देवेंद्र पाठक जी।
Nice
Bahut acha laga ye esa hi ek bhazan or nikalo na guru dev