गौरा के राज दुलारे,
शिव की आँखों के तारे,
गुण गाए सारा संसार,
गूंजे है तेरी जय जयकार,
शोभा अति प्यारी तेरी,
मूसे की सवारी तेरी,
सदक़े मैं जाऊँ बलिहार,
गूंजे है तेरी जय जयकार।।
तर्ज – कजरा मोहब्बत वाला।
कानों में कुण्डल सोहे,
माथे पर तिलक सिंदूरी,
भगतों के मन की करते,
आशा तुम हरदम पूरी,
शरणागत की सुध लेते,
हर लेते हर मजबूरी,
प्रथमे होती है पूजा,
तुम सा कोई देव ना दूजा,
महिमा तुम्हारी है अपार,
गूंजे है तेरी जय जयकार।।
अदभुत है रूप तुम्हारा,
लीला भी है मनोहारी,
अचरज से देखे तुमको,
जग सारा दुनिया सारी,
गज-आनन लम्बोदर तुम,
संकट-हर्ता उपकारी,
निर्धन को माया देते,
कोड़ी को काया देते,
ख़ुशियाँ हो देते बेशुमार,
गूंजे है तेरी जय जयकार।।
आया मैं ‘साहिल’ जब से,
बप्पा तेरे चरणों में,
जब से रखा है तूने,
सेवक मुझको अपनों में,
खोया खोया रहता हूँ,
अब तेरे ही भजनों में,
रहमत की बारिश कर दी,
ख़ुशियों से झोली भर दी,
मुझको बना के सेवादार,
गूंजे है तेरी जय जयकार।।
गौरा के राज दुलारे,
शिव की आँखों के तारे,
गुण गाए सारा संसार,
गूंजे है तेरी जय जयकार,
शोभा अति प्यारी तेरी,
मूसे की सवारी तेरी,
सदक़े मैं जाऊँ बलिहार,
गूंजे है तेरी जय जयकार।।
स्वर – निधि साहिल।
गीतकार – प्रदीप साहिल।