मारा मारा ज़माने में,
फिरता था मैं,
इनकी चौखट पे आना,
गजब हो गया,
जब सहारा मिला ना,
कहीं पर मुझे,
जब सहारा मिला ना,
कहीं पर मुझे,
इनको उंगली थमाना,
गज़ब हो गया।bd।
आँधिया गम की थी,
मन परेशान था,
क्या मुकद्दर मेरे,
देख हैरान था,
अब लकीरें भी,
माथे की खिलने लगी,
बस सर का झुकाना,
गज़ब हो गया,
मारा मारा ज़माने में,
फिरता था मैं,
इनकी चौखट पे आना,
गज़ब हो गया।bd।
मांगने की जरुरत,
पड़ी ही नहीं,
हाँ जरुरत से ज्यादा,
दिया श्याम ने,
एक रिश्ता बनाया था,
बस श्याम में,
इनका बस वो निभाना,
गज़ब हो गया,
मारा मारा ज़माने में,
फिरता था मैं,
इनकी चौखट पे आना,
गज़ब हो गया।bd।
हारने का मजा भी है,
‘पंकज’ अलग,
जब सहारा मिले,
श्याम सरकार का,
अब कहीं और कहने,
की फुर्सत नहीं,
इनको अर्जी सुनाना,
गज़ब हो गया,
मारा मारा ज़माने में,
फिरता था मैं,
इनकी चौखट पे आना,
गज़ब हो गया।bd।
मारा मारा ज़माने में,
फिरता था मैं,
इनकी चौखट पे आना,
गजब हो गया,
जब सहारा मिला ना,
कहीं पर मुझे,
जब सहारा मिला ना,
कहीं पर मुझे,
इनको उंगली थमाना,
गज़ब हो गया।bd।
Singer – Reshmi Sharma