घड़ियां हांड़ा कोई वो तपधारी जी,
दोहा – दुनिया रचावे ब्रह्माजी और,
विष्णु पालनहार,
शंकर जी उद्धार करें है,
करते नैया पार।
घड़ियां घड़ियां घड़ियां हांड़ा,
कोई वो तपधारी जी,
श्रीयादे मांडियां वो उपर मांडणां।।
नुरां में नुर समावे ब्रह्मा,
कोई वो करतारी जी,
शारद गेचियां जिणपर कोई आंकड़ा।।
कुम्भा माहीं जगां बणाई,
जिणमें पावनकारी जी,
लक्ष्मी करती जिनकी पुरण कामना।।
भली बुरी पहचान करें है,
कोई वो गंग धारी जी,
काण-कसर ने दुर करे है कालका।।
लिख-लिख महिमा ‘रतन’ गावे,
सतगुरु किशन चरणां जी,
भजन आलके याद करुं मैं आपको।।
घड़ियां हांड़ा कोई वो तपधारी जी,
श्रीयादे मांडियां वो उपर मांडणां।।
गायक व रचना – पं. रतनलाल प्रजापति।
निर्देशक – किशनलाल जी प्रजापत।