घोड़लिया श्याम ने लेकर,
म्हारे घर कदसी आवेलो,
पघारा घुघरा तेरा,
आँगणिया कद बजावेलो,
घोड़लियाँ श्याम ने लेकर,
म्हारे घर कदसी आवेलो।।
तर्ज – ना झटको जुल्फ से पानी।
सेवक की सेवक से अर्जी,
व्याकुल खुदगर्ज की गरजी,
तिसाया नैन दर्शन का,
या तृष्णा कद मिटावेलो,
घोड़लियाँ श्याम ने लेकर,
म्हारे घर कदसी आवेलो।।
तू ख़ासम ख़ास है दर को,
साँवरीयो म्हारे भी घर को,
निभावन यार की यारी,
जुगत कदसी भिड़ावेगो,
घोड़लियाँ श्याम ने लेकर,
म्हारे घर कदसी आवेलो।।
साँवरीयो बैठ्यो है घट में,
क्यो ढूढ़े मंदिर और मठ में,
यो भूखो प्रेम को ‘सरिता’,
प्रेम में बंध के आवेगो,
घोड़लियाँ श्याम ने लेकर,
म्हारे घर कदसी आवेलो।।
घोड़लिया श्याम ने लेकर,
म्हारे घर कदसी आवेलो,
पघारा घुघरा तेरा,
आँगणिया कद बजावेलो,
घोड़लियाँ श्याम ने लेकर,
म्हारे घर कदसी आवेलो।।
Singer – Vivek Sharma