घुस गया तेरे घर मे चोर है किशन कन्हैया।
मनसुख ने मचाया शोर सुन री गुजरिया।
(तर्ज :- म्हारे हिवड़े मे नाचे मोर)
घुस गया तेरे घर मे चोर,
है किशन कन्हैया।
मनसुख ने मचाया शोर,
सुन री गुजरिया।
अकेला खाये, बोले न पुकारे,
सखा की न ली खबरिया॥
घुस गया … मनसुख …
तू सोये नीँद मेँ मग्न है,
तेरे घर मेँ मोहन है,
जोर से आवाज लगाई,
सोई चन्द्रावल जगायी,
करके हल्ला भाग गया उठके
आई जब गुजरिया॥१॥
घुस गया … मनसुख …
पकड़ा गया तू आज कन्हाई,
कराऊँगी तेरी पिटाई,
दामन मेँ छुपाके अपने,
घर नन्दबाबा के आई,
करता है चोरी समझा तेरे
लाला को ओ यशोदा मैया॥२॥
घुस गया … मनसुख …
सुनके बोली यशोदा मैया,
घर मेँ सोये मेरा कन्हैया,
गूजरी ने चीर उठाकर देखा,
बन गया श्याम गूजर उसीका,
मैया ने डांटा आना न फिर मेरी देहरिया॥३॥
घुस गया … मनसुख …
उतर गया मुख गूजरी का,
बैठा था भरतार उसी का,
देख के हालत चन्द्रावल की,
गिरिधर मुस्काया,
अजब दिखाई लीला श्याम
‘खेदड़’ की ले लो खबरिया॥४॥
घुस गया … मनसुख …
घुस गया तेरे घर मेँ चोर,
है किशन कन्हैया।
मनसुख ने मचाया शोर,
सुन री गुजरिया।
अकेला खाये, बोले न पुकारे,
सखा की न ली खबरिया॥
घुस गया .. “by pkhedar”