बागड़ देश म्ह,
गोगा गोरख का,
जोड़ा ठाट का,
भुतां कै तो करंट लगै सै,
हजार वाट का,
हे रै रै हजार वाट का,
हेरै रै हजार वाट का हो।।
गोरख रूप म्ह शिवजी बैठे,
गोगा रूप म्ह नाग पदम,
नजर मिलै जब भगतां गेल्यां,
टेंशन हो जा सारी खत्म,
फूल कमल दिल खिले देखकै,
चांँद ललाट का,
भुतां कै तो करंट लगै सै,
हजार वाट का।।
क्रोध भरी नजरों से देखैं,
भुतां के सिस्टम फैल करैं,
मंद मंद मुस्का कै नै,
भक्तों के दिल म्ह प्यार भरैं,
जब यह बणैं रुखाले काम ना,
रह घबराहट का,
भुतां कै तो करंट लगै सै,
हजार वाट का।।
मंदिर अंदर भूत भूतणी,
मार कै किल्की रोवैं सैं,
मार पडै़ जब गुरु चेल्ले की,
राह भाजण का टोहवैं सैं,
एक नू बोल्या मत मारो,
मैं बुड्ढा साठ का,
भुतां कै तो करंट लगै सै,
हजार वाट का।।
करै गुलामी गजेन्द्र स्वामी,
बागड़ के दो शेरां की,
लक्की शर्मा किस्मत आला,
दौलत पाग्या मेहरां की,
भक्तों में दिया नाम गिणा,
भंवर लाल जाट का,
भुतां कै तो करंट लगै सै,
हजार वाट का।।
बागड़ देश म्ह,
गोगा गोरख का,
जोड़ा ठाट का,
भुतां कै तो करंट लगै सै,
हजार वाट का,
हे रै रै हजार वाट का,
हेरै रै हजार वाट का हो।।
गायक – लक्की शर्मा।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी।
कुड़लाण (करनाल)
9996800660