गोकुल की हर गली मे,
मथुरा की हर गली मे।
तर्ज – तुम जो चले गये तो।
गोकुल की हर गली में,
मथुरा की हर गली मे,
कान्हा को ढूँढ़ता हूँ,
दुनिया की हर गली में।।
गोकुल गया तो सोचा,
माखन चुराता होगा,
या फ़िर कदम्ब के नीचे,
बंसी बजाता होगा,
गोकुल की हरगली मे,
ग्वालिन की हर गली मे,
कृष्णा को ढूँढ़ता हूँ,
दुनिया की हर गली में।।
शायद किसी बहन की,
साड़ी बढ़ाता होगा,
या फिर वो बिष का प्याला,
अमृत बनाता होगा,
भक्तो की हर गली मे,
प्रेमी की हर गली मे,
कान्हा को ढूँढ़ता हूँ,
दुनिया की हर गली में।।
ढूंढा गली गली में,
खोजा डगर डगर में,
मुझको मिला कन्हैया,
दिल वालो की गली में,
गुजरी की हर गली में,
प्रेमी की हर गली मे,
कान्हा को ढूँढ़ता हूँ,
दुनिया की हर गली में।।
गोकुल की हर गली मे,
मथुरा की हर गली मे,
कान्हा को ढूँढ़ता हूँ,
दुनिया की हर गली में।।
Bhu bhu pasnd h he
Bahut acha
Nice