गोपीचंद धर लो नी भगवा वेश,
भरथरी मामा से मिलनों रे।।
हे गोपीचंद साल दुसाला ने छोड़,
गुरु सा री चादर ले लों रे।।
हे गोपीचंद सोना रो मुकुट परो छोड़,
गुरु जी कि ज़टा बढ़ाओ रे।।
हे गोपीचंद काना रा कुण्डल परा खोल,
गुरु सा रा मन्दरा पहनो रे।।
हे गोपीचंद पगा री मोचड़ीया परी खोल,
गुरु सा री पावड़ीया पहनो रे।।
हे गोपीचंद सोना का हार परा खोल,
गुरु सा री माला धारण करो रे।।
हे गोपीचंद गुरु मिल्या रे गोरखनाथ,
गुरु सा री शरणा में रहनो रे।।
गोपीचंद धर लो नी भगवा वेश,
भरथरी मामा से मिलनों रे।।
गायक – गोपाल दास जी वैष्णव।
प्रेषक – लोकेश गाडरी खेमाणा।
7850970321