गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,
शिव को पति बनाने को,
पति बनाने को, भोले को,
पति बनाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
ना चाहिए मुझे माथे का टिका,
मांग सजाने को,
हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,
हरी गुण गाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
ना चाहिए मुझे सोने की नथनी,
नाक सजाने को,
हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,
हरी गुण गाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
ना चाहिए मुझे गले का हरवा,
गला सजाने को,
हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,
हरी गुण गाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
ना चाहिए मुझे सोने का कंगना,
हाथ सजाने को,
हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,
हरी गुण गाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
ना चाहिए मुझे रेशम की साड़ी,
तन पे सजाने को,
हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,
हरी गुण गाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
ना चाहिए मुझे सोने की करधनी,
कमर सजाने को,
हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,
हरी गुण गाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,
शिव को पति बनाने को,
पति बनाने को, भोले को,
पति बनाने को,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,
शिव को पति बनाने को।।
प्रेषक – राधेश्याम बारोड़ (रेहाता उप)