गोरख बाबा तन्ने देऊँ उल्हाना,
तेरी भगति म्ह दुख,
पड़ रया क्यूँ ठाणा।।
तर्ज – मेरे प्यार को तुम।
आतमा रोवै बाबा,
घणा दुख पारी सै,
खोलकै बतादे,
आज मर्जी के थारी सै,
रंग राखया तेरे रंग म्ह,
अपणा यो बाणा,
तेरी भगति म्ह दुख,
पड़ रया क्यूँ ठाणा।।
टप टप आँसू पडैं,
कदर ना जाणी हो,
कईं बै सुणाली गोरख,
दर्द कहाणी हो,
नाट क्यौं ना जाता,
जै ना साथ निभाणा,
तेरी भगति म्ह दुख,
पड़ रया क्यूँ ठाणा।।
यारी सै कच्ची तेरी,
कहूं तेरे स्याम्ही,
मिलग्या मनै के तेरी,
करकै गुलामी,
होया ना सफल तेरे,
दर पै यो आणा,
तेरी भगति म्ह दुख,
पड़ रया क्यूँ ठाणा।।
बात गजेन्द्र की जै,
आगी हो ध्यान म्ह,
तेरा ही सहारा लिया,
लक्की नै जहान म्ह,
प्रकाश का तेरे तै,
रिश्ता पुराणा,
तेरी भगति म्ह दुख,
पड़ रया क्यूँ ठाणा।।
गोरख बाबा तन्ने देऊँ उल्हाना,
तेरी भगति म्ह दुख,
पड़ रया क्यूँ ठाणा।।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुरलन।
9996800660
गायक – लक्की पिचौलिया।
9034283904