गोरख तेरा चिमटा निराला हो,
करै धूणे पै चाला हो।।
जगै यो धूणा तेरा बागड़ म,
लाग्गै चिमटा रोगी की कड़ म,
रहै ना पास भूत बदमास,
पडै़ जब तेरे त पाला हो,
करै धूणे प चाला हो,
गोरख तेरा चिमटा निराला हों,
करै धूणे प चाला हो।।
चलावै धूणा बेल अगत की,
राक्खै चिमटा खबर जगत की,
हो पूर्ण आश करै जो अरदास,
रहै सदा घर म उजाला हो,
करै धूणे प चाला हो,
गोरख तेरा चिमटा निराला हों,
करै धूणे प चाला हो।।
जगावै धूणा तेरा जो अखण्ड,
जागज्यां भाग बदल ज्यां ढंग,
मिलै सत्कार जगत का प्यार,
टूट ज्यां भ्रम का ताला हो,
करै धूणे प चाला हो,
गोरख तेरा चिमटा निराला हों,
करै धूणे प चाला हो।।
साथ कुलदीप भगत के तू डोल्लै,
भेद सभ आगले पाछले खोल्लै,
गजेन्द्र दास रहै तेरे पास,
कष्ट लक्की का टाल्या हो,
करै धूणे प चाला हो,
गोरख तेरा चिमटा निराला हों,
करै धूणे प चाला हो।।
गोरख तेरा चिमटा निराला हो,
करै धूणे पै चाला हो।।
गायक – लक्की शर्मा पिचोलिया।
लेखक / प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़ल्याणिया
9996800660